**नमस्ते मित्रों***
***आज मैं पुनः हाजिर हूं***हलचल का एक और अंक लेेकर***
ये हैं आज की हलचल के लिये आप के प्यारे लिंक...
***सादर ब्लॉगस्ते*** कहानी: लल्लू भैया की शादी***SUMIT PRATAP SINGH
उनके लड़के की उम्र निकलने से पहले ही शादी करवा दी। लल्लू भइया को मुड़कर देखा तो प्रतीत हुआ कि वह भी कुछ ऐसा ही सोच रहे थे। रात को घर लौटते हुए मैं और मेरे
मित्र पहले और अब के लल्लू भइया में तुलना करते हुए उनके सुखी विवाहित जीवन की कामना कर रहे थे।
***Hindi Internet Technology***अब पाओ डोमेन नेम एकदम फ्री***farruq abbas
आज हमलेकर आये हैं आप के लिये एक खुशखबरी। हम जल्दी ही हिन्दी ब्लॉगर्स के लिये एक नि शुल्क डोमेन नेम की सुविधा शुरू करनें जा रहे
हैं। जहॉ हम हिन्दी ब्लॉगर को डॉट इन एक्सटेंशन वाला डोमेन फ्री देंगे।
***काव्य वाटिका***प्रीत के गलियारे में***कविता विकास
पद्मिनी मुस्काई मंद - मंद
गीत बन गया छंद - छंद
समंदर है उफन रहा
स्वर्णाभ लिए दमक रहा
***बेचैन आत्मा***मैं अकेला हूँ !***देवेन्द्र पाण्डेय
इस सच के अलावा
मेरे गले में
एक बड़ा-सा झूठ बंधा है
मैं अकेला हूँ!
***भारत दर्शन .......***महापरिनिर्वाण मंदिर-कुशीनगर [गोरखपुर]***Alpana Verma
जिस स्थान पर भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया था वह स्तूप इसी मंदिर के पूर्व में बना है.
महापरिनिर्वाण मंदिर से पहले बीच तालाब में बना भगवान बुद्ध का मंदिर और इसके सामने बना विशाल पैगोडा है.जल मंदिर तक जाने के लिए तालाब के ऊपर पुल बना है
***मेरी धरोहर***खुद अपनी आग में जलता रहा........जमील मलिक***yashoda agrawal
कितने लम्हों के पतंगे आए, आकर जल बुझे
मैं चराग़े-जिन्दगी था, ता-अबद जलता रहा
हुस्न की तबानियां मेरा मुकद्दर बन गई
चांद में चमका,कभी ख़ुरशीद में ढलता रहा
***जो मेरा मन कहे***दिसंबर भी आ गया***Yashwant Yash
यह अंत है नया दौर फिर
नए ठौर का बौर आ गया
देखो न
दिसंबर भी आ गया ।
***ram ram bhai***Wear a red ribbon on World AIDS DayWorld AIDS Day***Virendra Kumar Sharma
भारत के संदर्भ में विश्वएड्स दिवस:एक दिसंबर ,२०१३ आश्वस्त करता प्रतीत होता है। जहां दुनिया भर में २००५-१२ के दरमियान एच आई वी -एड्स से होने वाली मौतों
में ५०% वृद्धि हुई है ,१० -१९ साला आयुवर्ग के बीस लाख से ज्यादा नए लोग इस संक्रमण की चपेट में आयें हैं
***samandar:***जिवन एक रहस्य गहरा, सुख दुःख***डॉ अ कीर्तिवर्धन
उबड़-खाबड़ राहों में भी, कुछ मानव हँसते चलते ।
कष्टों में भी हार ना मानो, ज्ञानी जन यह कहते,
जो जीवन का सार जान गया, देखा ईश्वर बनते
***सृजन मंच ऑनलाइन***तू वही है.....ग़ज़लडा***श्याम गुप्त ....
मैं न मेरा,
सच यही है |
तत्व सारा,
बस यही है |
***Ocean of Bliss***उत्सव***Rekha Joshi
बाल उपवन में खिल रहे है भांति भांति के फूल
फूलों पर नाच रही तितली ने भी उत्सव मनाया
***WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION***क्या वारिस कभी बन पाएंगी मासूम बेटियां ?***शिखा कौशिक 'नूतन'
कब गूंजेंगी किलकारियां बेख़ौफ़ हो इनकी ?
क्या वारिस कभी बन पाएंगी मासूम बेटियां ?
माता के रूप में तो गायी जाती है महिमा ,
पूजी मगर कब जाएँगी मासूम बेटियां ?
***कलम से***अब बेगुनाही से न मिलेंगे
बेसबब गुनाह हम कर चुके हैं शायद ,
सबब क्यूँकर हुए ,अब बेगुनाही से न मिलेंगे.
हद औ बंदिशें करती है तलब मुझे बार बार ,
बिन परों के पंछी हैं ,अब पर न मिलेंगे ....
***Akanksha*** स्वप्न अमूर्त***Asha Saxena
कभी मिलन की आस भी
बाकी होना चाहिए
हकीकत तो सभी जानते हैं
कभी स्वप्नों में भी खोना चाहिए |
***Hathkadh हथकढ़***ज़ुबानदराज़ होकर भी बेज़ुबान***KC
सब कुछ वैसा ही है बस जो ज़िन्दा हैं वे भरे हुए हैं ख़ुशी और रंज के असर से. कहाँ बदलता है कुछ कि उम्र के आख़िरी छोर तक कई लोग बचा कर ले जाते हैं हिचकियाँ दुखों
वाली. किसी तनहा सिरे पर बैठ कर सोचते हैं कि क्या अच्छा होता गर इनको बाँट लिया होता इसे दुनिया में किसी से. आंसुओं का एक मौसम होता है
दें मुझेइजाजत...
धन्यवाद...
***आज मैं पुनः हाजिर हूं***हलचल का एक और अंक लेेकर***
ये हैं आज की हलचल के लिये आप के प्यारे लिंक...
***सादर ब्लॉगस्ते*** कहानी: लल्लू भैया की शादी***SUMIT PRATAP SINGH
उनके लड़के की उम्र निकलने से पहले ही शादी करवा दी। लल्लू भइया को मुड़कर देखा तो प्रतीत हुआ कि वह भी कुछ ऐसा ही सोच रहे थे। रात को घर लौटते हुए मैं और मेरे
मित्र पहले और अब के लल्लू भइया में तुलना करते हुए उनके सुखी विवाहित जीवन की कामना कर रहे थे।
***Hindi Internet Technology***अब पाओ डोमेन नेम एकदम फ्री***farruq abbas
आज हमलेकर आये हैं आप के लिये एक खुशखबरी। हम जल्दी ही हिन्दी ब्लॉगर्स के लिये एक नि शुल्क डोमेन नेम की सुविधा शुरू करनें जा रहे
हैं। जहॉ हम हिन्दी ब्लॉगर को डॉट इन एक्सटेंशन वाला डोमेन फ्री देंगे।
***काव्य वाटिका***प्रीत के गलियारे में***कविता विकास
पद्मिनी मुस्काई मंद - मंद
गीत बन गया छंद - छंद
समंदर है उफन रहा
स्वर्णाभ लिए दमक रहा
***बेचैन आत्मा***मैं अकेला हूँ !***देवेन्द्र पाण्डेय
इस सच के अलावा
मेरे गले में
एक बड़ा-सा झूठ बंधा है
मैं अकेला हूँ!
***भारत दर्शन .......***महापरिनिर्वाण मंदिर-कुशीनगर [गोरखपुर]***Alpana Verma
जिस स्थान पर भगवान बुद्ध का अंतिम संस्कार किया गया था वह स्तूप इसी मंदिर के पूर्व में बना है.
महापरिनिर्वाण मंदिर से पहले बीच तालाब में बना भगवान बुद्ध का मंदिर और इसके सामने बना विशाल पैगोडा है.जल मंदिर तक जाने के लिए तालाब के ऊपर पुल बना है
***मेरी धरोहर***खुद अपनी आग में जलता रहा........जमील मलिक***yashoda agrawal
कितने लम्हों के पतंगे आए, आकर जल बुझे
मैं चराग़े-जिन्दगी था, ता-अबद जलता रहा
हुस्न की तबानियां मेरा मुकद्दर बन गई
चांद में चमका,कभी ख़ुरशीद में ढलता रहा
***जो मेरा मन कहे***दिसंबर भी आ गया***Yashwant Yash
यह अंत है नया दौर फिर
नए ठौर का बौर आ गया
देखो न
दिसंबर भी आ गया ।
***ram ram bhai***Wear a red ribbon on World AIDS DayWorld AIDS Day***Virendra Kumar Sharma
भारत के संदर्भ में विश्वएड्स दिवस:एक दिसंबर ,२०१३ आश्वस्त करता प्रतीत होता है। जहां दुनिया भर में २००५-१२ के दरमियान एच आई वी -एड्स से होने वाली मौतों
में ५०% वृद्धि हुई है ,१० -१९ साला आयुवर्ग के बीस लाख से ज्यादा नए लोग इस संक्रमण की चपेट में आयें हैं
***samandar:***जिवन एक रहस्य गहरा, सुख दुःख***डॉ अ कीर्तिवर्धन
उबड़-खाबड़ राहों में भी, कुछ मानव हँसते चलते ।
कष्टों में भी हार ना मानो, ज्ञानी जन यह कहते,
जो जीवन का सार जान गया, देखा ईश्वर बनते
***सृजन मंच ऑनलाइन***तू वही है.....ग़ज़लडा***श्याम गुप्त ....
मैं न मेरा,
सच यही है |
तत्व सारा,
बस यही है |
***Ocean of Bliss***उत्सव***Rekha Joshi
बाल उपवन में खिल रहे है भांति भांति के फूल
फूलों पर नाच रही तितली ने भी उत्सव मनाया
***WORLD's WOMAN BLOGGERS ASSOCIATION***क्या वारिस कभी बन पाएंगी मासूम बेटियां ?***शिखा कौशिक 'नूतन'
कब गूंजेंगी किलकारियां बेख़ौफ़ हो इनकी ?
क्या वारिस कभी बन पाएंगी मासूम बेटियां ?
माता के रूप में तो गायी जाती है महिमा ,
पूजी मगर कब जाएँगी मासूम बेटियां ?
***कलम से***अब बेगुनाही से न मिलेंगे
बेसबब गुनाह हम कर चुके हैं शायद ,
सबब क्यूँकर हुए ,अब बेगुनाही से न मिलेंगे.
हद औ बंदिशें करती है तलब मुझे बार बार ,
बिन परों के पंछी हैं ,अब पर न मिलेंगे ....
***Akanksha*** स्वप्न अमूर्त***Asha Saxena
कभी मिलन की आस भी
बाकी होना चाहिए
हकीकत तो सभी जानते हैं
कभी स्वप्नों में भी खोना चाहिए |
***Hathkadh हथकढ़***ज़ुबानदराज़ होकर भी बेज़ुबान***KC
सब कुछ वैसा ही है बस जो ज़िन्दा हैं वे भरे हुए हैं ख़ुशी और रंज के असर से. कहाँ बदलता है कुछ कि उम्र के आख़िरी छोर तक कई लोग बचा कर ले जाते हैं हिचकियाँ दुखों
वाली. किसी तनहा सिरे पर बैठ कर सोचते हैं कि क्या अच्छा होता गर इनको बाँट लिया होता इसे दुनिया में किसी से. आंसुओं का एक मौसम होता है
दें मुझेइजाजत...
धन्यवाद...