Quantcast
Channel: भूले बिसरे-नये पुराने
Viewing all articles
Browse latest Browse all 764

शनिवारीय हलचल....कुछ अटपटा सा अंक.....

$
0
0
व्यर्थ का प्रलाप
सुनते-सुनते....
सच में......
अभ्यस्त हो गई हूँ  अब
स्थानापन्न हो रहे हैं वो
और उनके लिये
ये चार पंक्तियाँ

रास्तों पर कड़ी नज़र रखना
हर क़दम इक नया सफ़र रखना
वक़्त, जाने कब इम्तेहां माँगे
अपने हाथों में कुछ हुनर रखना


चलिये चलें लिंक्स की ओर....नोक-झोंक तो होती रहेंगी


शहर के
एकांत में
हमको सभी छलते |
ढूँढने पर
भी यहाँ
परिचित नहीं मिलते |


एकांत के अंधेरों में
पीड़ाओं के विलाप
पलकों से पसीजे
भोर में भैरवी की धुन
पर थिरक गई अधरों
पर मुस्कान --


जाग रे मन !
कब तक यूं ही सोएगा
जग मे मन भरमाएगा
अब तो जाग रे मन !!



गर्म हवा जब मचलती है ,
सारे पन्ने फरफरा उठते है।
एक बार फिर लगता है कि
जिंदगी ने जैसे आवाज दी। 



मुश्किल था
एक दिन से
दूसरे दिन
तक का सफ़र |
एक दिन जब
तुमने कहा विदा !



इक खुशी तुझसे मिलने की
इक गम तुझसे बिछड़ने का...
कुछ ख्वाब हैं अनछुए से
और दर्द है टूट जाने का... 



पीठ पर सदियों को लादे
आखिर कितना चल सकते हो
झुकना लाज़िमी है एक दिन
तो बोझ थोड़ा कम क्यों नहीं कर लेते


भोर होने से ठीक पहले
अपने पंख फड़फड़ाती हैं
चिड़ियाँ किरणों की नौक के चुभते ही
कलियों की
खिल उठती हैं पंखुरियाँ



लासा मंजर में लगा, आह आम अरमान |
मौसम दे देता दगा, है बसन्त हैरान |
है बसन्त हैरान, कोयलें रोज लुटी हैं |
गिरगिटान मुस्कान, लोमड़ी बड़ी घुटी है | 



नैन-पलकों से उतरकर, गालों पे लुडकता नीर रोया
वो जब जुदा हमसे हुए तो, यह ह्रदय तज धीर रोया।
मालूम होता तो पूछ लेते, यूं रूठकर जाने का सबब,
बेरुखी पर उस बेवफा की,दिल से टपकता पीर रोया।



इस अनंत यात्रा में कितना कुछ
कहा अनकहा रह जाता है
प्राणों की तलहटी में 

हिमनद सा जमा मौन
देह प्रस्तर खंड सी
भटकता मन बावरा



आज अब आज्ञा दीजिये
फिर मिलेंगे
सादर.....
यशोदा

 


 






Viewing all articles
Browse latest Browse all 764

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>