नमस्ते साथियोम, ******भारत के*** 65वें गणतंत्र दिवस के*** पावन अवसर पर*** आप सब को हार्दिक शुभ कामनाएं***
पेश है आज की हलचल में मेरे द्वारा चयनित किये गये कुछ लिंक...
शत शत प्रणाम
देश की हो शान
रणक्षेत्र में डटे रहते
शत्रु के दांत खट्टे करते
दुगुनी शक्ति से प्रतिउत्तर देते
"गणतन्त्रदिवस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
पेड़ों की शाखाएँ सारी,
नयी-नयी कोपल पायेंगी,
अपने आँगन के अम्बुआ की,
डाली-डाली बौरायेंगी,
मुस्कानों से सुमन सलोने,
धरा-गगन को महकायें।
देशभक्ति के गीत प्रेम से,
आओ मिल-जुलकर गायें।
‘आप’ ज़िम्मेदारी से भाग रही है
आख़िर केजरीवॉल ने स्वीकार कर ही लिया कि वे अराजकतावादी हैं. वे जिस तरह दिल्ली में सरकार चला रहे हैं, उससे इस बात की पुष्टि होती है की कि पिछले दो या
तीन हफ्तों में आप सरकार ने अराजक तरीके से ही सरकार चलाई है
439. निर्लज्जता..
जिसे कल
कुछ मादा-भक्षियों ने
कुतर-कुतर कर खाया था
और नोच खसोट कर
अंग-अंग में ज़हर ठूँसा था
अभी तलक ये जो इंसाँ है भोला-भाला है.....अहमद सोज़
ख़ला में शोर जमा कर रहा है दीवाना
अभी तलक ये जो इंसाँ है भोला-भाला है
ज़मीं गुनाहों के लावे से पक रही है अभी
ये सारा सब जो है धरती का इक निवाला है
एक ग़ज़ल : राह अपनी वो चलता गया..
एक चेहरा नया सा लगा
रंग वो भी बदलता गया
जब कि सूरज निकलने को था
उस से पहले क्यूँ ढलता गया?
ग़ज़ल: प्यास का कोई यहाँ हल नहीं होने वाला
इश्क़ के दावे मुहब्बत की नुमाइश होगी
कैस जैसा कोई पागल नहीं होने वाला
मुझको आँखों में बसाने की ये ज़िद छोड़ भी दे
एक काँटा हूँ मैं काजल नहीं होने वाला
किसी की दुखती रग पर क्या इसी तरह हाथ रखा जाता है
हमारे तंत्र में भी
गणतंत्र दिवस
हमेशा हर वर्ष
जैसा हर जगह
मनाया जाता है
झंडा भी होता है
तिरंगा भी होता है
जय हिंद का नारा
भी जोर शोर से
लगाया जाता है
क्या मैं 'जिंदा'हूँ -- शिवनाथ कुमार
और हो सके तो
पिला दे कोई मुझे
अमर संस्कारों की अमृत
करा दे स्पर्श
माँ की चरणों का
गणतंत्र दिवस पर हम उनको भूल न जायें
छल, छद्म का अंत हो आये सुखद सवेरा।
भ्रष्टाचार मिटे अभी देश को जिसने घेरा।।
भारत हो सबसे आला, रहे न कोई क्लेश।
विश्वगुरु फिर बन जाये मेरा प्यारा देश
गणतंत्र दिवस
चलो फिर से खुद को जगाते हैं;
अनुशासन का डंडा फिर घुमाते हैं;
सुनहरा रंग है गणतंत्र का शहीदों के लहू से;
ऐसे शहीदों को हम सब सर झुकाते हैं
भागो नहीं, जागो और बदलो
यह गणतंत्र दिवस है। गणतंत्र माने जिस देश का राष्ट्राध्यक्ष चुना जाता है। भारत ने लोकतंत्र और गणतंत्र का रास्ता तब चुना जब दुनिया के तमाम देशों में लोकतंत्र
की भावना अच्छी तरह विकसित नहीं हो पाई थी। हम आर्थिक रूप से भले ही अमीर देश नहीं हैं, पर लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिहाज से यूरोप और अमेरिका के बाद भारत सबसे
विकसित देश है। पर क्या हम लोकतंत्र के महत्व को समझते हैं? हमारे पास दुनिया का सबसे विषद संविधान है। दुनिया में सांविधानिक परम्पराएं तकरीबन साढ़े तीन सौ
साल पुरानी हैं। लिखित संविधान तो और भी बाद के हैं
धन्यवाद
पेश है आज की हलचल में मेरे द्वारा चयनित किये गये कुछ लिंक...
शत शत प्रणाम
देश की हो शान
रणक्षेत्र में डटे रहते
शत्रु के दांत खट्टे करते
दुगुनी शक्ति से प्रतिउत्तर देते
"गणतन्त्रदिवस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
पेड़ों की शाखाएँ सारी,
नयी-नयी कोपल पायेंगी,
अपने आँगन के अम्बुआ की,
डाली-डाली बौरायेंगी,
मुस्कानों से सुमन सलोने,
धरा-गगन को महकायें।
देशभक्ति के गीत प्रेम से,
आओ मिल-जुलकर गायें।
‘आप’ ज़िम्मेदारी से भाग रही है
आख़िर केजरीवॉल ने स्वीकार कर ही लिया कि वे अराजकतावादी हैं. वे जिस तरह दिल्ली में सरकार चला रहे हैं, उससे इस बात की पुष्टि होती है की कि पिछले दो या
तीन हफ्तों में आप सरकार ने अराजक तरीके से ही सरकार चलाई है
439. निर्लज्जता..
जिसे कल
कुछ मादा-भक्षियों ने
कुतर-कुतर कर खाया था
और नोच खसोट कर
अंग-अंग में ज़हर ठूँसा था
अभी तलक ये जो इंसाँ है भोला-भाला है.....अहमद सोज़
ख़ला में शोर जमा कर रहा है दीवाना
अभी तलक ये जो इंसाँ है भोला-भाला है
ज़मीं गुनाहों के लावे से पक रही है अभी
ये सारा सब जो है धरती का इक निवाला है
एक ग़ज़ल : राह अपनी वो चलता गया..
एक चेहरा नया सा लगा
रंग वो भी बदलता गया
जब कि सूरज निकलने को था
उस से पहले क्यूँ ढलता गया?
ग़ज़ल: प्यास का कोई यहाँ हल नहीं होने वाला
इश्क़ के दावे मुहब्बत की नुमाइश होगी
कैस जैसा कोई पागल नहीं होने वाला
मुझको आँखों में बसाने की ये ज़िद छोड़ भी दे
एक काँटा हूँ मैं काजल नहीं होने वाला
किसी की दुखती रग पर क्या इसी तरह हाथ रखा जाता है
हमारे तंत्र में भी
गणतंत्र दिवस
हमेशा हर वर्ष
जैसा हर जगह
मनाया जाता है
झंडा भी होता है
तिरंगा भी होता है
जय हिंद का नारा
भी जोर शोर से
लगाया जाता है
क्या मैं 'जिंदा'हूँ -- शिवनाथ कुमार
और हो सके तो
पिला दे कोई मुझे
अमर संस्कारों की अमृत
करा दे स्पर्श
माँ की चरणों का
गणतंत्र दिवस पर हम उनको भूल न जायें
छल, छद्म का अंत हो आये सुखद सवेरा।
भ्रष्टाचार मिटे अभी देश को जिसने घेरा।।
भारत हो सबसे आला, रहे न कोई क्लेश।
विश्वगुरु फिर बन जाये मेरा प्यारा देश
गणतंत्र दिवस
चलो फिर से खुद को जगाते हैं;
अनुशासन का डंडा फिर घुमाते हैं;
सुनहरा रंग है गणतंत्र का शहीदों के लहू से;
ऐसे शहीदों को हम सब सर झुकाते हैं
भागो नहीं, जागो और बदलो
यह गणतंत्र दिवस है। गणतंत्र माने जिस देश का राष्ट्राध्यक्ष चुना जाता है। भारत ने लोकतंत्र और गणतंत्र का रास्ता तब चुना जब दुनिया के तमाम देशों में लोकतंत्र
की भावना अच्छी तरह विकसित नहीं हो पाई थी। हम आर्थिक रूप से भले ही अमीर देश नहीं हैं, पर लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिहाज से यूरोप और अमेरिका के बाद भारत सबसे
विकसित देश है। पर क्या हम लोकतंत्र के महत्व को समझते हैं? हमारे पास दुनिया का सबसे विषद संविधान है। दुनिया में सांविधानिक परम्पराएं तकरीबन साढ़े तीन सौ
साल पुरानी हैं। लिखित संविधान तो और भी बाद के हैं
धन्यवाद