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हिंद की रोली......नयीपुरानी हलचल मंगलवारीय अंक

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यशोदा करती है नमस्कार
प्रस्तुत है...आज के चुनी हुई रचनाओं के अंश.......





















हिंदी दिवस का उपहार – 
2 लाख शब्दों सहित, अंग्रेज़ी-हिंदी-अंग्रेज़ी–द्विभाषी, 
शील शब्दकोश का नया, निःशुल्क संस्करण जारी
शील्स शब्दकोश एक ऑफलाईन कम्प्यूटर शब्दकोश है, 

इसका पहला संस्करण २०१० में जारी किया गया था। 
इस शब्दकोश को अभी तक लाखों लोग डाउनलोड कर चुके हैं
मनीषा ने बताया कि यह संस्करण भी पहले वर्जन की ही तरह निःशुल्क रहेगा एवं मुफ़्त डाउनलोड किया जा सकता है।

 



क्या मेरे टूटे मकान में वो फिर आएँगे ?
जिनके आते ही मेरे सपने रंगीन हो जाएँगे
वे आए और आकर चले गए
मेरे मन में अपनी याद जगाकर चले गए



वे खोजे महबूब चाँद में हाल जहाँ माकूल है
रोटी में जो चाँद निहारे क्या भूखों की भूल है
लोग सराहे जाते वैसे जनहित में जो खड़े अभी
अगर साथ चलना तो कहते, रस्ते बहुत बबूल है 



हिंद की रोली
भारत की आवाज
हिंदी है बोली . 



कर्म करके फल पायें
ये आम बात है,
कर्म कोई और करे
लेकिन फल पायें हम
ये खास बात है...



न जाने किस  गुनाह की मुझको सज़ा मिली
मेरे साये नें  मुझसे मेरी  तस्वीर  छीन ली



जरूरत है
कुछ नए शब्दों की ढूँढ़ रहा हूँ
लेकिन बाज़ार बंद हैं
कुछ अधखुले पल्लों से/
झाँकती आँखें घूरती हैं 



अनहितकारी है परिवर्तन भाषा और विचारों में,
कड़वाहट अपनों के प्रति ही भरी हुई परिवारों में।
संबंधो के मीठे फल का स्वाद चखाना भूल गए।
नव पीढ़ी को मर्यादा का पाठ पढ़ाना भूल गए।। 



खाली कुर्सी हो गई ,अब ख़त्म इंतज़ार
लूटा मोदी ने ह्रदय ,छेड़ ह्रदय के तार  



जीवन के
कड़वे यथार्थ !
मीठे सपने,
जिन तक कभी ,
नहीं पहुंचते हाथ !



आज इतना ही
कल फिर मिलते हैं
विदा



 





 


 



 


 


 


 










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