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पावन पर्व रामनवीं, गांधी जयंति और शास्त्री जयंति की शुभ-कामनाएं...

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पावन पर्व रामनवीं,  गांधी जयंति और शास्त्री जयंति पर सभी ब्लोगर मित्रों, पाठ्कों और सभी देशवासियों को हार्दिक शुभ-कामनायें...
 सब से पहले हम सब शपत लेते हैं कि
• महात्मा गाँधी ने जिस भारत का सपना देखा था, उसमें सिर्फ राजनैतिक आजादी ही नहीं थी, बल्कि एक स्वच्छ एवं विकसित देश की कल्पना भी थी।
• महात्मा गांधी ने गुलामी की जंजीरों को तोड़कर माँ भारती को आजाद कराया। अब हमारा कर्तव्य  है कि गन्दगी को दूर करके भारत माता की सेवा करें।
• मैं शपथ लेता हूँ कि मैं स्वयं स्वच्छता के प्रति सजग रहूंगा और उसके लिए समय दूँगा।
• हर वर्ष 100 घंटे यानी हर सप्ताह 2 घंटे श्रमदान करके स्वच्छता के इस संकल्प को चरितार्थ करूंगा/करूंगी।
• मैं न गंदगी करूँगा न किसी और को करने दूंगा/दूंगी।
• सबसे पहले मैं स्वयं से, मेरे परिवार से, मेरे मोहल्ले से, मेरे गांव से एवं मेरे कार्यस्थल से शुरूआत करूंगा/करूंगी।
• मैं यह मानता/मानती हूं कि दुनिया के जो भी देश स्वच्छ दिखते हैं उसका कारण वहां के नागरिक गंदगी नहीं करते और न ही होने देते हैं।
• इस विचार के साथ मैं गाँव हो या शहर गली-गली स्वच्छ भारत मिशन का प्रचार करूंगा/करूंगी।
• मैं आज जो शपथ ले रहा हूँ वह अन्य 100 व्यक्तियों से भी करवाऊँगा/करवाऊँगी।
• वे भी मेरी तरह स्वच्छता के लिए 100 घंटे दें, इसके लिए प्रयास करूंगा/करूगी।
• मुझे मालूम है कि स्वच्छता की तरफ बढ़ाया गया मेरा एक कदम पूरे भारत देश को स्वच्छ बनाने में मदद करेगा।

अब चलते हैं आज की हलचल की ओर...
मैं 'देवी'हूँ-4 (नवरात्रि विशेष-अंतिम किस्त)
Yashwant Yash
मैं पत्थर में प्राण नहीं
मैं साक्षात हूँ
तुम्हारे ही आस पास
तुम्हारी माँ
बहन-वामा
या बेटी हूँ
मैं देवी हूँ।
तोते के बारे में तोता कुछ बताता है जो तोते को ही समझ में आता है
सुशील कुमार जोशी
पर तोते तो
तोते होते हैं
और तोतों को
तोतों का कुछ भी
कर लेना बहुत
अच्छी तरह से
समझ में
आ जाता है ।
मेरा आधा भरा गिलास / डा. श्याम गुप्त की कविता   आषुतोश दूबे
सकारात्मक सोचो, नकारात्मक नहीं,
कमजोरियों पर नहीं, मज़बूतियों पर फोकस रखो,
आधे भरे गिलास को देखो,
आधे खाली को नहीं ||
कुछ दोस्त कुछ दुश्मन यहाँ आये जा रहे हैं
Pankaj Kumar
रात को डराने का उपाय सूरज करे सो करे
हम तो अपनी हैसियत से अँधेरा जलाये जा रहे हैं
यारों की महफ़िल लगेगी फिर आसमानों में
सितारों को सजने की मोहलत दिये जा रहे हैं
गीत-याद बहुत आते हैं
 (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
चूल्हा-चक्की, रोटी-मक्की, कब का नाता तोड़ चुके हैं।
मटकी में का ठण्डा पानी, सब ही पीना छोड़ चुके हैं।
नदिया-नाले, संगी-ग्वाले, याद बहुत आते हैं।।
स्वच्छता अभियान के बाद
अनूप शुक्ल
सफ़ाई अभियान वाले हाथ जोड़ रहे हैं कूड़े के! भाई साहब  एक-दो दिन की बात है! कहीं इधर-उधर हो जाइये। हमको साफ़-सफ़ाई कर लेने दीजिये। फ़ोटो-सोटो हो जाने दीजिये।
फ़िर आप रहियेगा ठाठ से। आपकी ही जगह है। कौन रोकने वाला है आपको!
हम रेशम के कीड़े
Dinesh Thakkar
किन्तु समझ नहीं पाते हम
तितली होने के मायने
समय रहते कोश मुक्त होकर
नहीं उड़ेंगे तो
मार दिया जाएगा निर्ममता से
आदिशक्ति माँ
abha khare
जब-जब हुई
चर्चा शक्ति की
उभर आई तस्वीर
सामने स्त्री की
और मन की आँखों से
जब देखो तो
हर स्त्री रूप में
झलकती है माँ ...!
वह खोज रहा
Asha Saxena
भटक गया था राह से
घिर कर आपदाओं से |
अब खोजता
बाधा विहीन सुगम सरल
सहज मार्ग
उस तक पहुँचने का |

धन्यवाद...


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