सबसे दूर खुद के कितने पास हूँ..
प्रेम-प्रपंचके किस्सों में
शाश्वत प्रेमकी आस हूँ
दिल चाहता है
तोड़ दूँ वह प्रेम के पाँच नियम
और तुमसे प्यार करके
प्रेम के सही रूप को जान के
मैं ही दानी औरमैं ही दान हूँ
तुम पुकार लो कि मैं
यहीं कहीं आस पास हूँ।
--यशवन्त यश
[नोट-कत्थई रंग मेब्लॉग पोस्ट्स के लिंक्स हैं]
शाश्वत प्रेमकी आस हूँ
दिल चाहता है
तोड़ दूँ वह प्रेम के पाँच नियम
और तुमसे प्यार करके
प्रेम के सही रूप को जान के
मैं ही दानी औरमैं ही दान हूँ
तुम पुकार लो कि मैं
यहीं कहीं आस पास हूँ।
--यशवन्त यश
[नोट-कत्थई रंग मेब्लॉग पोस्ट्स के लिंक्स हैं]