आज का अंक
बिना किसी भूमिका के
चलें ...सीधे लिंक्स की ओर
बिना किसी भूमिका के
चलें ...सीधे लिंक्स की ओर
चमन के सरपरस्तों से न गर नादानियां होतीं
न हरसू ख़ार की नस्लें गुलिस्तां में अयां होतीं
न हरसू ख़ार की नस्लें गुलिस्तां में अयां होतीं
कांतिहीन विवशता मे
आशा की एक किरण बनकर
ज़िंदगी के हाशिए पे
लिखी गयी तस्वीर हो तुम
शहादतों को भूलकर सियासतों को जी रहे
पड़ोसियों से पिट रहे हैं और होंठ सी रहे
कुर्सियों से प्यार है, न खुद पे ऐतबार है-
नशा निषेध इस तरह कि मैकदे में पी रहे
आशा की एक किरण बनकर
ज़िंदगी के हाशिए पे
लिखी गयी तस्वीर हो तुम
शहादतों को भूलकर सियासतों को जी रहे
पड़ोसियों से पिट रहे हैं और होंठ सी रहे
कुर्सियों से प्यार है, न खुद पे ऐतबार है-
नशा निषेध इस तरह कि मैकदे में पी रहे
मेरा मुल्क मेरा मज़हब हो , मेरा मज़हब मेरा ईमान रहे
फ़लक से चाँदनी उतरे लिए एक हाथ में गीता,एक में कूरान रहे
ख़ालिस आशिक़ी है, हम कोई पैतरा नहीं करते
क़ीमत ही नहीं दिल की वरना, पहरा नहीं करते ?
फ़लक से चाँदनी उतरे लिए एक हाथ में गीता,एक में कूरान रहे
ख़ालिस आशिक़ी है, हम कोई पैतरा नहीं करते
क़ीमत ही नहीं दिल की वरना, पहरा नहीं करते ?
कहीं आतंकवाद
कहीं नेतावाद
कहीं विवाद
पर फिर भी आज तो खुश हैं हम
क्युकी आज " Happy independence day " है
कहीं नेतावाद
कहीं विवाद
पर फिर भी आज तो खुश हैं हम
क्युकी आज " Happy independence day " है
दुखी मन बोला सुखी मन से
जब तुम भी मन मैं भी मन
फिर मैं दुखी तुम खुश कैसे
जब तुम भी मन मैं भी मन
फिर मैं दुखी तुम खुश कैसे
रोज़ नहीं होता
सूर्योदय
इतना सुन्दर,
कब देखा है तुमने मुझको,
सुर चरणों पर इठलाते हुए
कब देखा है तुमने मुझको
अलकावलि में बंध जाते हुए
शब्द दीप से
पथ उजियारा
करती उसकी
करूणा धारा
समझदारों से.........
"सर्वगुण संपन्न' की मोहर लगवा
सूर्योदय
इतना सुन्दर,
कब देखा है तुमने मुझको,
सुर चरणों पर इठलाते हुए
कब देखा है तुमने मुझको
अलकावलि में बंध जाते हुए
शब्द दीप से
पथ उजियारा
करती उसकी
करूणा धारा
समझदारों से.........
"सर्वगुण संपन्न' की मोहर लगवा
कोई नहीं देखेगा हरा है या भगवा !
आज लगते ही तू लगता है चीखने
"आ ज़ाऽऽऽ दीऽऽऽऽऽऽऽऽ...."
घोंचू कहीं का.
मुट्ठियाँ भींच
भावावेष के अतिरेक में
चीखना कोई तुझसे सीखे .. मतिमूढ़ !
"आ ज़ाऽऽऽ दीऽऽऽऽऽऽऽऽ...."
घोंचू कहीं का.
मुट्ठियाँ भींच
भावावेष के अतिरेक में
चीखना कोई तुझसे सीखे .. मतिमूढ़ !
सब ओर है भ्रष्टाचार की बात
देश को जकड़े जिसके दांत
आओ अब सब कहें
मुझसे होगी शुरुआत!
देश को जकड़े जिसके दांत
आओ अब सब कहें
मुझसे होगी शुरुआत!
तेरा यह प्यार
मैं नाच रही हूँ
मैं नाच रही हूँ
तेरे बिना ये दुनिया मुझे नहीं चाहिए
टूट जाए सपनो का जहां मुझे नहीं चाहिए
लिंक्स तो और भी है
पर ज्यादती क्यों करूँ
आज्ञा दीजिये यशोदा को
मिलेंगे और मिलते रहेंगे
टूट जाए सपनो का जहां मुझे नहीं चाहिए
लिंक्स तो और भी है
पर ज्यादती क्यों करूँ
आज्ञा दीजिये यशोदा को
मिलेंगे और मिलते रहेंगे