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Channel: भूले बिसरे-नये पुराने
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भाषाओं के अंत का आख्यान

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नमस्कार!
वक़्त कितनी तेज़ी से बदलता है.... लगता है जैसे कल ही हमने नया साल मनाया था .... और पलक झपकते ही साल का 9 वां महीना भी आ गया....देखते देखते यह 3-4 माह भी बीत ही जाएंगे ...और फिर भी चलता रहेगा हमारा आपका यूं ही मिलना....



बदलते समयके साथ 
भाषाओं के अंत का आख्यान
करते हुए 
कहीं  खो गया है आदमी
बस रह गयीं हैं तो 
सिर्फ कुछ  आड़ी तिरछी रेखाएं! 
और बीती  स्मृतियाँ   
जिनके छोटे से  बाड़े में  
फिसल कर रूपया गिर रहा है! 
मधुमेह और आसारामके  
चरित्र की तरह। 

~यशवन्त



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