नमस्कार!
सप्ताह की पहली प्रस्तुति मे आप सभी का स्वागत है-
मुझे मेरा स्पेस चाहिये !
सप्ताह की पहली प्रस्तुति मे आप सभी का स्वागत है-
मुझे मेरा स्पेस चाहिये !
अरे ये क्या... आंखों की नमी बढ़ क्यों गई...
क्यों आज इतनी पुरानी बातें सोचने लगी
क्यों आज से पहले बीता वक़्त याद नहीं आया...
शान्ति भरे जीवन में |
कई रंग बिखर जाते
अक्स कहीं गुम हो जाते
बहुत समय लग जाता
स्थिरता आने में |
कई रंग बिखर जाते
अक्स कहीं गुम हो जाते
बहुत समय लग जाता
स्थिरता आने में |
हमारे किसी पूण्य का प्रताप है
तुम्हारा साथ,
तेरे आसपास खिलने वाली धूप
सारी दुनिया से
न्यारी लगती है...
तेरे आसपास खिलने वाली धूप
सारी दुनिया से
न्यारी लगती है...
सच तो ये है की सपने में भी नहीं सोच सका
रह पाऊंगा तेरे बगेर एक भी दिन
पर सिखा दिया समय ने, न सिर्फ जीना, बल्कि जीते भी रहना
तेरे चले जाने के बाद भी इस दुनिया में
मजे की बात कि हमले का हल्ला वो भाई मचा रहे हैं जिनको गद्दी संभालते ही शांति का नोबल थमा दिया गया। नोबल शांति की ट्राफ़ी लिये मिसाइल का बटन दबा रहे हैं। शांति की स्थापना के लिये अशांति मचा रहे हैं।
~यशवन्त माथुर