जानेकितनी ही बार ऐसा होता होगा ...!
हितवचन , "मैगी कल्चर………"
और 'लकीरों की चाहत..'
से गुज़रता हुआ मैं
आखिर कब तक
सुनता रहूँगा
एक ब्लॉगर की दुखभरी कथा
अब सम्भालूँ और सम्भलूँ कैसे
इस उदासी... के साथ कि
जीने की राहें
खुशीके इंतज़ार में
न जाने कहाँ खो चुकी हैं ।
~यशवन्त यश