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Channel: भूले बिसरे-नये पुराने
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आज की हलचल ***समय की धारा***

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मैं कुलदीप ठाकुरएक बार फिर  नयी पुरानी हलचल का एक और अंक लेकर हाजिर हूं... इस हलचल में मैं  आप सब का स्वागत व अभिनंदन करता हूं...


ये हैं आज की हलचल के लिये कुछ प्यारे लिंक...  उमीद हैं आप प्रत्येक रचना को अपना स्नेह देंगे...
***My Expression***एक दिन इत्तेफाक से***Dr.NISHA MAHARANA
पर भूले से भी ना सोचना
करुँगी तेरी बंदगी
तुम अगर मजबूर हो तो
मैं  भी मगरूर हूँ
    
***गुज़ारिश ***वोट , वोटर [दोहावली]***सरिता भाटिया
बिजली युग को दे रहे ,अभी भी 'लालटेन'
अपना करें विकास वो ,लालू हो या सेन /
मायावती मूर्त मगर, 'हाथी'चलता चाल
चालें चले मूर्त अगर ,करे सबको बेहाल /

****Ocean of Bliss***समय की धारा***Rekha Joshi
पल पल करवट ले रही है यह देखो समय की धारा
समेट लो खुशिया जो बिखरी आस पास तुम्हारे है

***ram ram bhai***नए शोध के आलोक में पुरानी मान्यताएं मिथ बन ने लगतीं हैं (पहली किस्त )***Virendra Kumar Sharma
कमर घटाइए अपनी कमर का नाप घटाइये। मोटा नियम यह रहा आया है आपकी कुल लम्बाई के आधे से ज्यादा नहीं होना चाहिए आपकी कमर के घेरे का माप। नवीनतम निर्देश यह हैं
-पुरुषों के लिए यह ९४ सेंटीमीटर तथा औरतों के लिए ८० सेंटीमीटर से नीचे  ही निरापद मानी जायेगी।
***नए शोध के आलोक में पुरानी मान्यताएं :मिथ या यथार्थ दूसरी क़िस्त ***
पंद्रह मिनिट धूप खाइये ,धूप  में बिताइए  रोजाना
स्वस्थ मुक्तावली और अस्थियों के लिए ही नहीं विटामिन D  हमारे रोग निरोधी तंत्र के सुचारु संचालन और तंदरुस्ती के बाबत भी बदलनी शुरू कर दी है।

***इन्द्रधनुष***ग़ज़ल बतला रहा हूँ यूं तो मैं सब कुछ सही सही***Rajeev Bharol
उसने कबूतरों को भी आज़ाद कर दिया
ख़त की उमीद छोड़ दी मैंने रही सही
मन का पपीहा प्यासा का प्यासा ही रह गया
क़िस्मत में इसकी प्यास ही लिक्खी हुई सही

***सृजन मंच ऑनलाइन***रेत के घरौंदे***अन्नपूर्णा बाजपेई
जो शायद सपने ही है
जो कभी सच होते है
कभी नहीं भी

***जिज्ञासा***तहलका मामला निजी नहीं***Pramod Joshi
हालांकि सोशल मीडिया में पीड़िता के पक्ष में माहौल है, पर उसके गोपनीय ई-मेल में घटना का जो विवरण है उसे कुछ अखबारों की वेबसाइटों ने जिस तरह से प्रकाशित
किया है वह अनुचित है। पिछले साल दिल्ली गैंग रेप मामले को व्यापक जन समर्थन मिला था। तब भी यह बात बार-बार कही जा रही थी कि हमारा समाज स्त्रियों को इनसान
नहीं मानता। वे गरिमा और मर्यादा के साथ अपने काम को अंजाम देने से घबराती हैं। उन्हें सुरक्षा और मर्यादा देने वाली व्यवस्था चाहिए। मामला मीडिया का हो तो
यह सुरक्षा और भी ज्यादा ज़रूरी है।
 
***प्राची के पार***कितना सुख था कि हर बार घर लौटकर आने के लिए मैं बार-बार घर से बाहर निकलूँगा***विनोद कुमार शुक्ल
हारे हुए तो सब हैं
अपनी हार को खेल भावना के चलते
सहर्ष स्वीकार करना है पलायन

***कविता मंच***जीने की अभिलाषा***राजेश त्रिपाठी
उसके अस्त्र हैं दृढ़ विश्वास,
अटूट लगन और
बड़ा होने की उत्कट चाह।
इसीलिए वह बना पाया
 पत्थर में भी राह

 ***KALP VERMA's Blog***यह जानकारी सबके पास पहुंचे***kalp verma
कृपया इसको शेयर करें ताकि यह जानकारी सबके पास पहुंचे !!
अपनी भारत की संस्कृति को पहचाने

***कुछ विशेष***अपना प्रधानमंत्री खुद चुने***सुनीता शानू
जो मैने किया है या किया नही है कुर्सी मिलने तक हर हाल में पूरा करुंगी। मैने हर परेशानी से निबटने की तरकीबें सोच निकाली है। मेरे देश के समझदार नागरिकों
आप सबकी यही मर्जी है तो मै आप सब के लिये ये कुर्बानी देने को भी तैयार हूँ

***साझा-संसार***मजदूर महिलाएँ : मूल्यहीन श्रम***जेन्नी शबनम
। स्त्री को उसके श्रम के हिसाब से सुविधा मिले और आराम का समय सुनिश्चित किया जाए । स्त्री को उसके अपने लिए अपना वक़्त मिले; जब वो अपनी मर्जी से जी सके और
अपने समय का अपने मन माफिक उपयोग सिर्फ अपने लिए कर सके । शायद फिर हर स्त्री को उसके श्रमिक होने पर गर्व होगा और कह पाएगी ''मजदूर दिवस मुबारक हो

***उच्चारण***तेजपाल का तेज***डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
पत्रकारिता की मिली, मिट्टी में अब शाख।
मचा तहलका देश में, आग हो गयी राख।।
शोषण करता देह का, इज्जतदार समाज।
सम्पादक खुद लूटते, महिलाओं की लाज।।

***अभिव्यक्ति***देख लो...***Amod Kumar Srivastava
फिर जब ऊपर मिलोगे मुझसे
तो हिसाब मत पूछना ...
ए भगवान ... देख लो .....

***अमन का पैग़ाम***देर आये दुरुस्त आये -बालविवाह***S.M Masum
बाल विवाह आज भी भारतवर्ष में समस्या बना हुआ है गाँव इत्यादि में तो आज भी इसका चलन देखने को मिल जाता है | यह और बात है की बाल विवाह केवल एक रस्म बनी हुयी
है


***देर रात के राग***कॉमरेड दोन किहोते***चिन्‍ता है दिन-रात की नाम आवे कैसे इतिहास में।
सर्टिफिकेट भी परम्‍परा के वारिस का हो पास में।
लोहा माने दुनिया फिर साष्‍टांग करे सम्‍मान में।
दोन किहोते उतर पड़ा है...



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आज बस इतना ही...
धन्यवाद

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