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पतंग

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शुभ प्रभात 



माना जाता है कि 
इस दिन भगवान भास्कर अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उसके घर जाते हैं। 
चूँकि शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं, अत: इस दिन को मकर संक्रान्ति के नाम से जाना जाता है। 
महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रान्ति का ही चयन किया था। 
मकर संक्रान्ति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर 
कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिल गयी थीं। 
कहते है भगवान श्री राम ने अपने साथियो के साथ 
इस दिन एक पतंग उड़ाई थी जो सीधे इंद्रलोक तक पहुंच गई 
(इस दिन सूर्य मकर रेखा से उत्तर रेखा की और आना आरंभ करता है सूर्य देव का उत्तर रेखा की ओर आने से पतंग को आसमान मे उड़ाकर उनके आने का स्वागत किया जाता है )

मकर संक्रांति (बिहार) के दिन ही दक्षिण भारत में,
विशेष रूप से तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में पोंगल पर्व मनाया जाता है। 
पोंगल तमिल हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है ....
 यह प्रति वर्ष १४-१५ जनवरी को मनाया जाता है .....
इसकी तुलना नवान्न से की जा सकती है ,जो फसल की कटाई का उत्सव होता है .....
तमिल में पोंगल का अर्थ ,उफान या विप्लव होता है ....
तीन दिन के इस पर्व में सूर्य की पूजा, पशु धन की पूजा और सामूहिक स्तर पर प्रसन्नता
असम में मकर संक्रांति को बीहू के नाम से मनाया जाता है ......


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