राष्ट्र का सम्मान करना चाहिये
निज धारा का मान करना चाहिये।
सीखिये भाषाएँ, बोली, सारे विश्व की,
राष्ट्रभाषा पर अभिमान करना चाहिये।
नमसते मित्रों, मैं फिर आया हूं लेकर नयी पुरानी हलचल का एक और सौमवारीय अंक... उमीद है आप को मेरे द्वारा चयनित लिंक पसंद आयेंगे...
मोदी को लेकर अमेरिका का धर्मसंकट...
[खुशदीप Sehgal]
दोनों देशों को आगे की ओर कदम उठाने की आवश्यकता है...और इन्हें मोदी के अतीत का हवाला देकर पीछे नहीं धकेलने नहीं दिया जाना चाहिए...यानि भारत के सवा अरब लोगों
की तरह अब अमेरिका को भी इंतज़ार है अगले लोकसभा चुनाव के नतीजों का...
फाल्गु के तट पर.....
[रश्मि शर्मा]
तब तो फाल्गु नदी सीता के क्रोध का शिकार बन भूमिगत हो गई.अब भी श्रापित है...रेतीली..अगर आज की नारी का श्राप भी ऐसे ही असर करे तो शायद आधी दुनिया ही
मरूस्थल में बदल जाए।
कण कण में तू
[Rekha Joshi]
संग अपने
रह
जाती है
बस माटी
जिन्दगी----।
[पूनम]
थाम ले कोई हाथ जिस राह से भी गुजरे हम।
हम सफ़र मिल जाय सफ़र का बहाना ढूंढ़ते हैं॥
चाहत हर किसी की होती नहीं पूरी फ़िर भी
कोशिश का बहाना,खुदा के पास ढूंढ़ते हैं।
एटीएम से पैसा निकालने पर लगे फीस: एसबीआई
[मिश्रा राहुल]
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने कहा कि एटीएम से पैसा निकालने की संख्या सीमित करने के प्रस्ताव पर विचार होगा।
बेंगलुरु में एक एटीएम में महिला पर हमले की घटना के बाद अतिरिक्त सुरक्षा उपायों की वजह से एटीएम ऑपरेट करने की लागत बढ़ी है।
उन-सलाई शीर्षक से कुछ लघु-कविताएँ
[Meenu Khare]
माँ के बाद,
देख कर माँ की ऊन सलाई ,
आई बहुत रुलाई.
महफ़िल की ख़लाओं से
[सुरेश स्वप्निल]
गिन-गिन के रोटियां हैं, राशन है शराबों पे
घर क्या बुरा था हमको जन्नत की फ़ज़ाओं से
मस्जिद का मुंह न देखा मुश्किल पड़ी जो हमपे
क्या ख़ाक दुआ मांगें पत्थर के ख़ुदाऑ से
तलाश एक कोने की
(आशा सक्सेना)
ऐसा कोना कहीं तो हो
जहां न व्यवधान कोई हो |
जिन्दगी जैसी भी हो
मैं और मेरा आराध्य हो
दुनियादारी से दूर
शान्ति का एहसास हो |
भीष्म पितामह और शरशैया | महाभारत की कथाएं | Incredible Stories From Mahabharata
[Nisheeth Ranjan]
महाभारत में भीष्म जब बाणों की शय्या पर थे तो एक अद्भुत प्रेरक घटना हुयी : महाभारत का युद्ध अंतिम दौर में था
अब आप के कर्णधारों को सोचना चाहिए
[pramod joshi]
उस दस्तावेज और पार्टी की रीति-नीति को देखकर अगले कुछ महीनों में साफ हो पाएगा कि दिल्ली की प्रयोगशाला से निकला जादू देश के सिर पर बोलेगा, या 'आप'खुद छूमंतर
हो जाएगा
ढूप और छांव की दोस्ती अज़ब गुजरी....ज़हूर नज़र
[yashoda agrawal]
सरसरे-तरबः आनंद की हवा, फ़स्ले-गुलः वसंत ऋतु,
बर्गे-दिलः दिल का पता, बादे-तर्के-उलफ़तः प्रेम विच्छेदन का पश्चात,
तुहमते-हवसः लोलुपता का आरोप
क्या गीत खुशी के गायें
[राजेश त्रिपाठी]
दिशा दिशा में दावानल, कण कण में कोहराम।
कहीं धमाका कहीं गोलियां चलती हैं अविराम।।
हर तरफ नफरतों का अंधेरा घना है।
आदमी आदमी का दुश्मन बना है।।
ईमान और इंसान बिक रहे, छीज रहीं मान्यताएं।
आजबस इतना ही...
धन्यवाद