मेरी मंजिल यही,..
जहाँ प्रकृति मेरे कैनवास पर
दिखाती है
उफक में उगते सूरज के मंज़र
फिर भी
जिंदगी की हार जीत के
कई दाँव......लगा कर
यही सोचता हूँ कि
कैसा दिखता होगा चाँद वहाँ से...
जहां तेरे मेरे सपने
सब एक रंग हैं।
--यशवन्त यश
जहाँ प्रकृति मेरे कैनवास पर
दिखाती है
उफक में उगते सूरज के मंज़र
फिर भी
जिंदगी की हार जीत के
कई दाँव......लगा कर
यही सोचता हूँ कि
कैसा दिखता होगा चाँद वहाँ से...
जहां तेरे मेरे सपने
सब एक रंग हैं।
--यशवन्त यश