सभी माननीय सदस्यों को मेरा प्यार भरा, आदर सहित सादर प्रणाम,
आप सभी का हाथ जोड़ कर नमन करता हूँ और आज की यह हलचल अपने अंदाज़ में प्रस्तुत करने की अनुमति चाहता हूँ |
आज सम्मानीय हलचल में हलचल मचने का प्रथमदिवस है | मुझे मौकादेने के लिए विभा माँ, यशवंत भाईऔर सभी सहहलचलियों का तहेदिलसे शुक्रिया | बहुत सोचा बहुत घोटा, बहुत टटोला ज़हनको, कि पहलीपोस्ट है आपको अपनेबारे में कैसे बतलाऊं? मंच पर धूमकैसे मचाऊं? आपके दिलोंमें जगह कैसे बनाऊं? आपकी आदतकैसे बन जाऊं? ज़िगरतक पैठ कैसे कर जाऊं, फिर ख़यालआया सोचना विचारना कैसा, अरे भाई! जो हो, जैसे हो वही रहो | सादगीमें जो मज़ा है, अपनापनहै, मिठासहै वो और किसी चीज़ में कहाँ | मन चंगातो कठौती में गंगा । यहाँ भी तो सब अपने ही हैं | दिखावाकैसा | तो बस सीधे-साधे स्वाभावसे आप सभी के साथ अपना तार्रुफ़करवाए देता हूँ | मैं क्या हूँ, क्यों हूँ, कैसा हूँ, कैसे हूँ बतलाये देता हूँ |
मैं तुषार राज रस्तोगी एक सामान्य, आम, मामूली, इंसान | भीड़ में भी एकाकी, स्वप्नद्रष्टा, बंजारा, मन का मुसाफिर, एक व्यावसायिक सत्यनिष्ठ और शाम ढ़लते ढ़लते दिल से एक अप्रवीण, अनाड़ी शौकिया रचनाकार और लेखक बन जाने की कोशिश करने वाला अदना सा खुदा का बंदा | मुझे महसूस होता है, मैं, अपनी बात, अपने भाव, अपने विचार, अपनी सोच, देखा-सुना, शब्दों के द्वारा कहने की कोशिश कोशिश करता हूँ इसलिए जिंदा हूँ | मैं लिखता हूँ, कहता हूँ, शब्दों में बहता हूँ इसलिए मैं, मैं हूँ | मस्तिष्क में विचार और दिल में शब्द है कि अनगिनत संख्या मे मेरे ज़हन पर हावी हुए जाते है और मैं शब्दो को स्याही से शक्ल देकर या अपने लैपटॉप के कीबोर्ड पर उँगलियाँ तोड़ तोड़ कर छोटे-मोटे किस्से, संस्मरण, कहानियाँ, कविताएँ, उभारने की कोशिश में लगा रहता हूँ | स्याह इन्द्रधनुषी लफ़्ज़ों का प्रयोग मैं अपने आप को अभिव्यक्त करने के लिये करता हूं और आप सभी मित्रगण का स्वागत करता हूँ मेरी लेखनी के द्वारा मेरे अंतर्मन में झांक कर देख लेने के लिये और मुझे समझने के लिए । अमूमन तौर पर मैं काव्य, कविता, छंद, कहानी आदि के माध्यम से अपने आपको और विचारों को व्यक्त करता हूँ | कुछ जग देखी का विवरण...कुछ आप बीती का संस्मरण...कुछ दूसरों की कही वाणी...कुछ अद्भुत मिले प्राणी...कुछ वादियों की सादगी...कुछ शहरों की त्रासदी...कुछ खुदा से अपनी बंदगी...कुछ मनचली दिल्लगी...कुछ दिल से दिल का राबता...कुछ मेरा आपसे वास्ता...आप के लिए...आप से मुतास्सिर...आप के समक्ष...आप की समीक्षा के लिए प्रतीक्षा करता हूँ | आशा है आपको मेरा अंदाज़, मेरा आगाज़, मेरे अलफ़ाज़, मेरा इस्रार, मेरा ख़ुमार, मेरा गुल्ज़ार, मेरे अश्क़, मेरे अफ़साने, मेरी तरंग, मेरी उमंग, मेरा आवेग, मेरा आवेश, मेरे अपने, मेरे बेगाने, मेरा जोश, मेरा उत्साह, मेरा समर्पण, मेरा सम्मोहन पसंद आएगा | मेरे द्वारा लिखी गई पोस्ट्स में आप पढ़ सकेंगे मेरे कुछ बीते हुए पल, मेरा आत्मबल, मेरा अधूरा ज्ञान, जग के प्रति मेरा सम्मान, मेरा प्यार, मेरा लगाव, मेरा बर्ताव और कुछ ऐसा खास जिसकी वजह से मैं वो हूँ जो आज मैं हूँ | मैं हमेशा अपना दिल, दिमाग, एहसास, जज़्बात सभी अपनी लेखनी के ज़रिये से ज़ाहिर करने की कोशिश करता रहता हूँ | मेरी आवारगी के उन पुराने दिनों की अधूरी कवितायेँ और टिल्ले-नवीस लेख से लेकर मेरी आज तक की जिंदगी से जुड़े संजीदा और अच्छे-बुरे पल का हिसाब-किताब मेरी पोस्ट्स में शब्द बन महकते है | मैं मुंह से कुछ कहता नहीं जो सुनता हूँ, जो देखता हूँ, महसूस करता हूँ, अनुभव करता हूँ सभी को एक सोच के धागे में पिरो कर शब्दों के मोतियों की माला बना आपके सम्मुख प्रस्तुत करता हूँ | मेरी लेखनी को आप मेरी खुली जिंदगी की एक किताब समझे | इसे इस उम्मीद से पढ़े के मैं अपने तसव्वुर, अपनी दीवानगी, अपनी तिश्नगी, अपनी उल्फत, अपनी रफ़ाक़त, अपना सलीका, अपनी इबादत, अपनी कसक और अपने वजूद को आपसे जोड़ सकूँ और आपका प्यार अपने लिए मुहिया करा सकूँ | मुझे पूरी उम्मीद है के आपको मेरी लिखी कवितायेँ, कहानियां और लेख आदि पसंद आयेंगे और आपका प्यार, आशीर्वाद और स्नेह मुझे हमेशा ही मिलता रहेगा | एक गुज़ारिश यह भी है एक अगरचे आपको लगता है के किसी तरह से मैं अपनी लेखनी को और ज्यादा स्पष्ट, रोचक, सटीक और असरदार बना सकता हूँ तो आप अपने बहुमूल्य सुझाव मुझे ज़रूर प्रदान करें |
उम्मीद करता हूँ मेरी हलचल से आपके दिलों में थोड़ी हलचल तो मची होगी | अब इजाज़त चाहूँगा |ज़र्रानवाज़ी, आदाब, शुक्रिया |
जय श्री राम | जय बजरंगबली महाराज | हर हर महादेव शंभू | भोले नाथ की जय |