नमस्कार!
गुरुवारीय हलचल मे आपका स्वागत है इन लिंक्स के साथ-
राधा बाई की लव स्टोरी
पढ़ते हुए
एक कविता याद आती है!
सदी बोल रही है
हादसे जो राह में मिलते रहे ...
तो कुछ रिश्ते
न जाने क्यूँ उलझते रहे
हर रिश्ता.....एक कोशिश.....
और ये फ़ुरसतिया के नौ साल
~यशवन्त माथुर
गुरुवारीय हलचल मे आपका स्वागत है इन लिंक्स के साथ-
राधा बाई की लव स्टोरी
पढ़ते हुए
एक कविता याद आती है!
सदी बोल रही है
हादसे जो राह में मिलते रहे ...
तो कुछ रिश्ते
न जाने क्यूँ उलझते रहे
हर रिश्ता.....एक कोशिश.....
और ये फ़ुरसतिया के नौ साल
~यशवन्त माथुर