शुभप्रभात
मानवाधिकार दिवस है ,इसे महत्वपूर्ण मानने वाले
स्त्रियों को मानव मान लें
उसे उसके अधिकार से वंचित ना करें
किसी भी इंसान की जिंदगी,
आजादी, बराबरी और सम्मान का
अधिकार है मानवाधिकार है।
भारतीय संविधान इस अधिकार की न सिर्फ गारंटी देता है,
बल्कि इसे तोड़ने वाले को अदालत सजा देती है।
शादी, दहेज़ की समस्या नहीं हो इसलिए सरकार, कोर्ट लिविंग रिलेशन को बढ़ावा दे रही है।
औरत अब पूरी तरह उपभोग की तरफ बढाई जा रही है और दुनिया को यह दिकाया जा रहा है
महिला सशकित्करण हो रहा है। आज जिस तरह से जन लोकपाल का विरोध किया जा रहा है
उस से यह तो सिद्ध होता है कि देश में पूर्ण रूप से जनता के मानवाधिकार
सुरक्षित रखने के लिए सरकार तैयार ही नही है।
देश के युवा, गरीब किसान या अन्य कमजोर लोग
जब अपने हक की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतरते हैं,
तो उन्हें लाठियों से कुचल दिया जाता है।
क्या कह रहे हो कि
इन गंदे चमारों को
इन बंगलादेशियों को
इन मुसलमानों को
मैं अपने बराबर मानूं ?
महिलाओं और बच्चियों के यौन शोषण के प्रति क़ानून बने है
लेकिन फिर भी इसकी घटनाओं में कोई भी कमी नहीं आ रही है .
उन्हें सुरक्षित रहने और इज्जत से जीने का अधिकार तो
मानवाधिकार दिलाता ही है लेकिन उन्हें मिलता कब है?
विश्व मानवाधिकार घोषणा पत्र का मुख्य विषय शिक्षा ,स्वास्थ्य ,रोजगारी ,आवास, संस्कृति ,खाद्यान्न व मनोरंजन से जुडी मानव की बुनयादी मांगों से संबंधित है ।विश्व के बहुत क्षेत्र गरीबी से पीडित है ,जो बडी संख्या वाले लोगों के प्रति बुनियादी मानवाधिकार प्राप्त करने की सब से बडी बाधा है।उन क्षेत्रों में बच्चे ,वरिष्ठ नागरिकों व महिलाओं के बुनियादी हितों को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता ।इस के अलावा नस्लवाद व नस्लवाद भेद मानवाधिकार कार्य के विकास को बडी चुनौती दे रहा है ।
"आज विश्व मानवाधिकार दिवस है ...इस रस्म की भस्म आज जगह -जगह
गोष्ठी -सैमीनार में चाटी जायेगी ...वैसे भी मानवाधिकार की दुकान चला कर
कई NGO मोटे हो गए हैं ...हम कब तक बाजे सा
अपनी अंतरआत्मा को बजाते रहेंगे ? ...
मुझे दीजिये इजाजत …… फिर मिलते हैं .....
विभा रानी श्रीवास्तव