क्योंकि गहनों का मुझे शौक नहीं
इसलिये निगाहें मिलकर बदल जाने वाले
~यशवन्त यश
इसलिये निगाहें मिलकर बदल जाने वाले
कभी नहीं समझ सकते
मेरे भीतर की संवेदना
मैं, मेरी बेटी और हमारी सरकार
देखते हुए खेल अजब दुनिया के
करते हैं यूं तो त्यागकी कई बातें
मगर डरने भी लगते हैं
क्योंकि हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी
मेरे भीतर की संवेदना
मैं, मेरी बेटी और हमारी सरकार
देखते हुए खेल अजब दुनिया के
करते हैं यूं तो त्यागकी कई बातें
मगर डरने भी लगते हैं
क्योंकि हर तरफ हर जगह बेशुमार आदमी
और सब देखेंगे
घनी रात के बाद दिन का उजाला।
~यशवन्त यश
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