सर्वप्रथम आप को पावन पर्व होली की ढेरों शुभकामनाएं...
ये आप जो हर तरफ रंग देख रहे हैं ये सभी रंग मिलकर प्रेम का संदेश दे रहे हैं...
हिन्द में कैसो फाग,मची जोरा-जोरी
फूल तख़्त हिन्द बना केसर की सी क्यारी
कैसे फूटे भाग हमारे लुट गयी दुनियां सारी
गोलन तें गुलाल बनायो,तोपन की पिचकारी
पहनी है पायल तो हौले से चलना
कर के छमाछम मेरा जी ना जराओ.
नजरिया के तीर सनम धीरे चलाओ.
...
होली के मौसम में गर्म भई हावा
अब गिरा के दुपट्टा ना आग लगाओ
आई है कान्हा की टोली
राधा संग खेलन को होरी
"मोड़ ना कलाई कन्हैया
काहे को करता बरजोरी "
ध्यान रहे होली में इतना मर्यादाएँ न टूट जाएँ
उन्नीकृष्णन के अंतिम संस्कार में, शोक में लिप्त लोगों ने जोर जोर से चिल्ला कर कहा "लॉन्ग लाइव् मेजर उन्नीकृष्णन", "संदीप उन्नीकृष्णन अमर रहे". हजारों लोग
एनएसजी कमांडो मेजर उन्नीकृष्णन के बैंगलोर के घर के बाहर खड़े होकर उन्हें श्रद्धांजली दे रहे थे. मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का अंतिम संस्कार पूरे सैनिक सम्मान
के साथ किया गया
साक्षात्कार को ‘प्रयोजन प्रेरित रचनात्मक वार्तालाप’ मानने वाले डॉ. त्रिभुवन राय इसकी सार्थकता ‘वृहत्तर पाठक समुदाय’ तक पहुँचने में मानते हैं तथा इसी संकल्पना
के तहत उन्होंने समय समय पर लिए गए साहित्यकारों के साक्षात्कार ‘साहित्यकारों के साथ संवाद’ शीर्षक से पुस्तकाकार प्रस्तुत किए हैं. स्मरणीय है कि डॉ. त्रिभुवन
राय समीक्षा के क्षेत्र में भारतीय और पाश्चात्य चिंतन के समन्वय की दिशा में क्रियाशील, संतुलित दृष्टि संपन्न, विचारशील सहृदय समीक्षक के रूप में जाने जाते
हैं
आज हलचल में बस इतना ही...क्योंकि होली के चलते आप को अधिक लिंक पढ़ने का समय भी न मिल सकेगा...
धन्यवाद...