नमस्ते !
जुलाई के पहले रविवार की प्रस्तुति मे आनंद लीजिये इन खास लिंक्स का -
अबोध मेहमान !
और सुनहरी याद
अकेले अपनी बातें अपने मुँह के अंदर ही बड़बड़ाते रह जाते हैं
जब खुद को यहाँ अकेला पाते हैं
साथ तुम्हारा
अच्छा लगता है
पता न चल पाया अब तक राज
किस बात का ?
तेरा ही एक हिस्सा हूँ मै!
होना भी चाहिए
जो हैंडसम से कम न हो :)
ज़रूर कामयाब होगी
इतना तो बनता है!
क्या ?? कैसे ???
इतना तो बनता है!
क्या ?? कैसे ???
और इस गीत का आनंद लेते हुए इजाज़त दीजिये अपने दोस्त यशवन्त यश को -