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Channel: भूले बिसरे-नये पुराने
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ख़ुदा को कौन समझाए रिलायंस की गैस का गोरखधन्धा

नमस्ते !हलचल की रविवारीय प्रस्तुति में आका हार्दिक स्वागत है -रिलायंस की गैस का गोरखधन्धाबता रहे हैं संजय जी ख़ुदा को कौन समझाए ?साझा आसमान पर सुरेश जी एक दुनिया जिसका नाम है परछाई उर्फ सपना भावना जी के...

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जून माह 2014 की अंतिम हलचल...

नमस्ते...जून माह की अंतिम प्रस्तुति में पेश है आप के लिये कुछ चुनिंदा लिंक...आज की हलचल में कुछ रचनाकारों  की 2 रचनाएं शामिल की जा रही है... कुछ तकनिकी कारणों से सूचना केवल एक रचना के लिये ही दी गयी...

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अगली पीढ़ियों के नाम सिसकते जख्म

नमस्ते !आज है पहली जुलाई....यानि वह दिन जिसका इंतज़ार बचपन मे हम मे से ज़्यादातर को रहता होगा या इस दिन से बचने की कोशिश करते होंगे :) :)जो भी हो अब यह दिन आ ही गया है ....बच्चा पलटन अब अपने स्कूल मे...

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अच्छे दिन महंगाई के....नयी पुरानी हलचल बुधवारीय अंक

सादर अभिवादन स्वाकारेंआज की नयी पुरानी हलचल कीआज की प्रस्तुति.... मेरे नैन नम थे,तुम भी उदास थी,जानते थे हम दोनों ही,ये अंतिम मुलाकात है...अच्छे दिन महंगाई के, खर्चीले दिन जनता केकोई नहीं, अभी तलक...

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आज की हलचल: भारत में नारी की दशा और दिशा

नमस्ते...आज की नयी पुरानी हलचल में आप का स्वागत है...प्रस्तुत है आज की हलचल...इन चुनिंदा लिंकों के साथ...रचनाकार:पर... शशि गोयल का आलेख - भारत में नारी की दशा और दिशाप्रकाशितकर्ता:Ravishankar...

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हिंदी फिल्‍मों की बिगड़ती भाषा फ़रेब है हुज़ूर...

नमस्ते !हलचल की शुक्रवारीय प्रस्तुति मे आपका स्वागत है इन लिंक्स के साथ- फ़रेब है हुज़ूर...साझा आसमान पर सुरेश जी मान जाओ मानसून कुमाउँनी चेली पर शेफाली जी  पुरानी परम्परा के चक्र अब यहीं रुक गए बता रहे...

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पीती है मीरा यहाँ विष की पियाली यारों..........आज का शनिवारीय अंक

सादर अभिवादन करती है यशोदाये रहे आज के लिंक्स.....फूल के बदले चली खूब दुनाली यारों, बात बढ़ती ही गई जितनी संभाली यारों दूध नागों को यहाँ मुफ्त मिला करता है, पीती है मीरा यहाँ विष की पियाली यारों  ''आदमी...

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बाबा ऐसा वर ढूंढो जो यह माने कि तेरा ही एक हिस्सा हूँ मै.........

नमस्ते !जुलाई के पहले रविवार की प्रस्तुति मे आनंद लीजिये इन खास लिंक्स का -अबोध मेहमान !और सुनहरी याद अकेले अपनी बातें अपने मुँह के अंदर ही बड़बड़ाते रह जाते हैं   जब खुद को यहाँ अकेला पाते हैं  साथ...

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मेहनत और किस्मत!आज की हलचल...

नमस्ते...आज की नयी पुरानी हलचल में आप का स्वागत है इन चंद चुनिंदा लिंकों के साथ...मैं समझ नहीं पा रहा था।उन्हे पैसा दूँ 100-200 की ना दूँ। दूँ तो कहीं बुरा ना मान जाए और ना दूँ तो मेरे मन ना माने। फिर...

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सब झूठ बोलते हैं

नमस्ते !दिग्विजय जी की व्यस्तता की वजह से आज की प्रस्तुति भी मेरे ही द्वारा।पेश हैं चुने हुए लिंक्स कुछ इस तरह से -- -----------इस दुनिया मेसब झूठ बोलते हैं  सच तो यह है कि मेहनत और किस्मत के साथ...

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भीगे भीगे एहसास लिये कौन है वह आखिर ......

नमस्ते !आज की पोस्ट लाने मे देरी कारण क्षमा चाहता हूँ।  डालिए एक नज़र आज के इन खास लिंक्स पर -मुक्ति के मार्ग चाहने वाले के हिसाब से नहीं होते हैं उलूक टाइम्स पर सुशील जी  कौन है वह आखिर स्मिता जी का...

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आज की नयी पुरानी हलचल...

नमस्ते...आज की नयी पुरानी हलचल में ुलदीप ठाकुरका  अभिवादन स्विकारें... पेश है आज की हलचल इन चुने हुए लिंकों के साथजो सदा पुण्य में तत्पर रहते, नाव ऋषियों ने भेजी हैसुंदर आसन बिछा है इसमें, तीव्र गति से...

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नयनों की भाषा से झरीं नीम की पत्तियाँ

नमस्ते !हलचल की शुक्रवारीय प्रस्तुति मे आपका स्वागत है इन चुने हुए लिंक्स के साथ-लुटेरे थैलीशाहों के लिए “अच्छे दिन” – मेहनतकशों और ग़रीबों के लिए “कड़े क़दम”!मजदूर बिगुल पर महत्वपूर्ण आलेख  ज़िंदगी कैलाश...

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सस्ता जूता....शनिवारीय हलचल

सादर अभिवादन......गरीबी रेखा वाले आदमीतू क्यों है इतना रूठाबजट में अब तो तुझेदे दिया सस्ता जूताये है शरद उपाध्याय जी की व्यंगिकाओं मे से एकमौसम को बर्बाद न करबाँहों से आजाद न करखुशियों के पल होते...

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क्यों ये चांद दिन में नजर आता है .....

क्यों ये चांद दिन में नजर आता हैअलबर्ट पिंटो को गुस्सा आज भी आता है मैं यहीं रहता हूँप्रेमनगर के मोड़ पर तितलियों ने कहा, फूल को चूम करचलो! अब कहीं ... और चलते हैं..  इन राहों पर रोज़ "अचानक" फूल बरसते...

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झूम कर बदली उठी और छा गई

नमस्ते...झूम कर बदली उठी और छा गईसारी दुनिया पर जवानी आ गईआह वो उस की निगाह-ए-मय-फ़रोशजब भी उट्ठी मस्तियाँ बरसा गईगेसू-ए-मुश्कीं में वो रू-ए-हसींअब्र में बिजली सी इक लहरा गईआलम-ए-मस्ती की तौबा...

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...कि जीवन ठहर न जाए........आज की मंगलवारीय हलचल

आज के इस अंक में मैं यशोदा.....आप सभी कासादर अभिवादन करती हूँ ...आज की हलचल की ओर चलते हैं..... चोर सिपाही, "पोषम पा भई पोषम पा"खेलेकितने दिन गुज़र गए।चलो न कुछ करेंकहीं से भी सही, शुरु तो करें...कि...

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मैं अकेली महकती रही......नयी पुरानी हलचल..बुधवारीय अंक

आप सभी को यशोदाका नमस्कार.......आज के अंक मेंचलिये देखते है कि क्या है.......नई दस्तक......होंठो की गुलाबीनरम पंखुड़ियों परपानी का छीट भी मोतीसा बन बैठता है तुम्हारा नामझंकार सा बजने लगता है प्यार की...

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सावन...आज की हलचल

नमस्ते...आज मेरे शहर मेंसावन की पहली फुहार पड़ी है,कुछ वैसी ही, जिसमेंपार साल, हम साथ-साथभीगे थे…मिट्टी आज भी वैसे हीगंधा रही है,हवा की मादकता भी/वैसी ही है,औरकजलाया है अंबर भी आजउसी शाम की तरह, जबसावन...

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पुरुषो तुम परमेश्वर बनोगे?? .....मेरे पास ऑफर है

नमस्ते !शुक्रवारीय प्रस्तुति मे आप सभी का स्वागत है इन लिंक्स के साथ -चेतन भगतबड़बोलेपन और कूपमण्डूकता का एक साम्प्रदायिक संस्करणखाक होकर भी मैं किस कदर जल गया... मेरा मुंसिफ ही मेरा कातिल निकल गयामेरे...

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