नमस्कार....
आज का आगाज
नयी दस्तक......
ज़िन्दगी रंग शब्द एक नया ब्लाग
बादल जो बेख़ौफ़ उमड़े हैं, कैसे घनघोर घुमड़े हैं,
प्रकृति के वाद्य पर देखो, सुरीले गीत कई उमड़े हैं,
हलकी ठंडी-ठंडी बयार, और देखो बूँद-बूँद फुहार,
तन को भिगो गई, और मन में सपने भी संजो गई।
महफ़िल में जो घाव मिले हैं,
दुश्मन के वो वार नहीं थे
क्या हुआ जो पाई ठोकर.
अच्छे के तो आसार नहीं थे
हवा आधी है
आग आधी है
पानी आधा है
दुनिया आधी है
आधा-आधा नहीं
बीच से टूटा है
यह संसार बीच से टूटा है।
किस्मत का रूठ जाना
अच्छा था,
इन सांसों का टूट जाना
अच्छा था।
Zameen bhi..
Baarish bhi..
Aasmaan bhi.. Tum
कोई महबूब होता
तो झटकती जुल्फों से
गिरती बूंदों को सहेज लेता
बहुत मुस्किल दौर बहुत खूबसूरती के साथ जिया है हमने....
ये पहली बार हुआ कि मुस्करा कर दर्द को भी दर्द दिया है हमने......
आज्ञा दीजिये यशोदा को
कल फिर मिलेंगे
आज का आगाज
नयी दस्तक......
ज़िन्दगी रंग शब्द एक नया ब्लाग
बादल जो बेख़ौफ़ उमड़े हैं, कैसे घनघोर घुमड़े हैं,
प्रकृति के वाद्य पर देखो, सुरीले गीत कई उमड़े हैं,
हलकी ठंडी-ठंडी बयार, और देखो बूँद-बूँद फुहार,
तन को भिगो गई, और मन में सपने भी संजो गई।
महफ़िल में जो घाव मिले हैं,
दुश्मन के वो वार नहीं थे
क्या हुआ जो पाई ठोकर.
अच्छे के तो आसार नहीं थे
हवा आधी है
आग आधी है
पानी आधा है
दुनिया आधी है
आधा-आधा नहीं
बीच से टूटा है
यह संसार बीच से टूटा है।
किस्मत का रूठ जाना
अच्छा था,
इन सांसों का टूट जाना
अच्छा था।
Zameen bhi..
Baarish bhi..
Aasmaan bhi.. Tum
कोई महबूब होता
तो झटकती जुल्फों से
गिरती बूंदों को सहेज लेता
बहुत मुस्किल दौर बहुत खूबसूरती के साथ जिया है हमने....
ये पहली बार हुआ कि मुस्करा कर दर्द को भी दर्द दिया है हमने......
आज्ञा दीजिये यशोदा को
कल फिर मिलेंगे