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किसी भी आयु के बच्चे को पीड़ा पहुँचाते हुए सुधार करने की अपेक्षा पूर्णतया गलत है

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नमस्ते !
हलचल की शुक्रवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है कुछ चुनिन्दा लिंक्स के साथ।

इस संदर्भ में गहराई से सोचना और पुरखों के अंतर्द्वंद्व को समझना जरूरी और जारी प्रक्रिया है ...
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फ्रेइरे की शिक्षा पद्धति को सरल रूप में समझने के लिए हम एक उदाहरण देख सकते हैं.वर्णमाला का "क, ख, ग"पढ़ाते समय "स"से "सेब"नहीं बल्कि "सरकार"या "साहूकार"या "समाज"भी हो सकता है.इस तरह से "स"से बने शब्द को समझाने के लिए शिक्षक इस विषय से जुड़ी विभिन्न बातों पर वार्तालाप व बहस प्रारम्भ करता है 
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कान उमेठने का उद्देश्य अगर बच्चे को गलती का एहसास कराना है तो यह कार्य बगैर कान उमेठे भी किया जा सकता है । किसी भी आयु के बच्चे को पीड़ा पहुँचाते हुए सुधार करने की अपेक्षा पूर्णतया गलत है । इस प्रकार की प्रक्रिया से बच्चों को दर्द तो अधिक नहीं होता है पर वे अपमानित हो कुंठा से भर जाते है ।
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घाघ और भड्डरी में अवश्य ही में कोई दैवीय प्रतिभा थी। क्योंकि उनकी जितनी कहावतें हैं, प्रायः सभी अक्षरशः सत्य उतरती हैं। गांवों में तो इनकी कहावतें किसानों को कंठस्थ हैं। 
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विरही चाँद 
अश्रु बहाये
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मीठी आवाजो से डर लगता है
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बादलों के आँचल से लिपट जातीं
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और इस गीत का आनंद लेते हुए इजाज़त दीजिये यशवन्त यश को- 



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